यात्राएँ | नीलोत्पल

यात्राएँ | नीलोत्पल

मैं जीवन की यात्रा का अथक मुसाफिर
देखता हूँ लोगों का उठना और गिरना

मैं दीवारों पर ढहाए गए संगीत को सुनता हूँ
जो उन्होंने अपनी विफलता पर रचा
देखता हूँ उन लोगों को
जो जीवन और मृत्यु के बीच करते हैं यात्राएँ
वे खुश हैं वे उदास हैं
उन्हें नहीं मालूम शब्दों के परिणाम
उन्होंने सच और झूठ को चुना
और गति दी अपने कामों को

See also  अभिनेता और श्रमिक | ओसिप मांदेल्श्ताम

जनम कितनी कथाओं से भरे हैं
कि हर एक में रंगीन पत्तियाँ
गर्भ से निकलते ही समुद्र भर देने वाली मछलियाँ
तीखे डंक और शहद से भरी विचित्र मधुमक्खियाँ

इन्हीं में लोग अनंत स्वप्नों से भरे हैं
उनके भीतर की सुनामी लौट जाती है
उदास गीतों से टकराकर

वे अपनी जीत में बुनते रहे जीवन
वे संभावनाएँ बनाते हुए निकल पड़े अनजान राहों पर
वे लौटते रहे शहरी सीमांतों से
क्रांकीट को अपनी छायाओं से ढँकते हुए
वे मृत्यु के मुसाफिर रहे
वे रक्त संबंधों और जातिगत पीड़ाओं के सहभागी थे

See also  यह किसका मन डोला | माखनलाल चतुर्वेदी

मैं उनमें होता हूँ
जैसे एक शब्द अपनी सुंदरता में कहीं खो जाता है
जैसे एक आवाज लौटती है अपना स्वर खो कर
और हमारी सारी संपदाएँ रचती हैं
अपनी यात्राओं के भूगोल

सच जो परदा चाहता था
हमने किताबें लिखीं
उन किताबों से निकलकर आए वे
किन्हीं और आकारों में ढल जाने के लिए

See also  बातूनी | कुमार अनुपम