व्यतीत | अंकिता आनंद
व्यतीत | अंकिता आनंद
इंतज़ार करते हुए वक्त नहीं, हम बीतते हैं
और इंतज़ार करानेवाला सोचता रह जाता है
कि जितना छोड़ गया था
उससे कम कैसे?
व्यतीत | अंकिता आनंद
इंतज़ार करते हुए वक्त नहीं, हम बीतते हैं
और इंतज़ार करानेवाला सोचता रह जाता है
कि जितना छोड़ गया था
उससे कम कैसे?