वसंत | मणि मोहन
वसंत | मणि मोहन
उसके हाथों छनते-बिनते
राई के कुछ दाने
आखिर लुढ़क ही जाते हैं
इधर-उधर
और उग आते हैं…
हर बार
घर के आँगन में
कुछ इस तरह
आ ही जाता है
वसंत।
सब कुछ हिंदी में
वसंत | मणि मोहन
उसके हाथों छनते-बिनते
राई के कुछ दाने
आखिर लुढ़क ही जाते हैं
इधर-उधर
और उग आते हैं…
हर बार
घर के आँगन में
कुछ इस तरह
आ ही जाता है
वसंत।