वर्षा के बाद | हरिनारायण व्यास

वर्षा के बाद | हरिनारायण व्यास

पहली असाढ़ की सन्‍ध्‍या में नीलांजन बादल बरस गये।
             फट गया गगन में नील मेघ
             पय की गगरी ज्‍यों फूट गयी
             बौछार ज्‍योति की बरस गयी
             झर गयी बेल से किरन जुही

See also  नेकी और बदी | मुंशी रहमान खान

मधुमयी चाँदनी फैल गयी किरनों के सागर बिखर गये।
             आधे नभ में आषाढ़ मेघ
             मद मन्‍थर गति से रहा उतर
             आधे नभ में है चाँद खड़ा
             मधु हास धरा पर रहा बिखर

See also  चिड़ियाघर के तोते | बुद्धिनाथ मिश्र

पुलकाकुल धरती नमित-नयन, नयनों में बाँधे स्‍वप्‍न नये।
             हर पत्ते पर है बूँद नयी
             हर बूँद लिये प्रतिबिम्‍ब नया
             प्रतिबिम्‍ब तुम्‍हारे अन्‍तर का
             अंकुर के उर में उतर गया

See also  चढ़ आया है पानी | महेश वर्मा

भर गयी स्‍नेह की मधु गगरी, गगरी के बादल बिखर गये।