उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’
उत्तर दो | इसाक ‘अश्क’
क्या होगा
साफ-साफ उत्तर दो
कागजी समन्वय के बुनने से।
तुमने जो
आशा-आकांक्षा जगाई थी
उसने है रचा –
एक सूनापन-सन्नाटा
पी गए अभाव
उम्र का समग्र गंगाजल
शेष नहीं –
कहने को कहीं ज्वार-भाटा
ऐसे में क्या होगा
हाथ उठा
वोट डाल और तुम्हें चुनने से।
करने के लिए व्यक्त
दर्द के दुसह दुख को
पास नहीं शब्द –
सगुण भाषा,
क्योंकि हैं किए उसे
अपने आधीन
तुम्हारे पद का –
गरीयसी कुहासा
तब फिर क्या होगा
इन दर्शक
श्रोताओं में बैठ तुम्हें सुनने से।