टूटती जंजीर | माखनलाल चतुर्वेदी

टूटती जंजीर | माखनलाल चतुर्वेदी

एक कहता है कि जीवन की कहानी बेगुनाह, 
एक बोला चल रही साँसें-सधीं, पर बेगुनाह, 
एक ने दोनों पलक यों धर दिए, 
एक ने पुतली झपक ली, वर दिए, 
एक ने आलिंगनों को आस दी, 
एक ने निर्माण को बनवास दी, 
आज तारों से नए अंबर भरे, 
टूटती जंजीर से नव-स्वर झरे।

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