टूटा हृदय | त्रिलोचन
कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना
रहेगा। भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जो
चलेगा, भोगेगा। क्षण क्षण कहानी अवश सी
सुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से
सब कुछ हिंदी में
कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना
रहेगा। भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जो
चलेगा, भोगेगा। क्षण क्षण कहानी अवश सी
सुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से