मृत्यु आई और कल मेरी कहानी के एक पात्र को अपने संग ले गई अक्सर उसके घर के सामने से गजरते हुए मैं उधर देख लिया करता था अर्से से वह दिखा ही नहीं एक दिन कहा किसी ने कि वह बीमार है गंभीर रूप से उससे मिलने के लिए थोड़ा बहुत साहस जरूरी था जो मैंने अपने आप में न पाया
अंततः एक दिन मैं खामोश बैठा रहा उसके सामने उसके ओठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी या शायद रहा हो कोई दर्द वह बिस्तर पर था और हो चुका था तब्दील एक कंकाल में देर तक वह देता रहा मुझे डॉक्टरों, हकीमों और वैद्यों का हवाला उसे कोई मलाल न था मैं उसे सुनता ही रहा
मुझे याद आए अपनी कहानी के वे प्रसंग जहाँ वह शिद्दत से मौजूद था उसके दरवाजे के वे पल्ले जिनकी दरारों से दिखाई देती थी बाहर की दुनिया अक्षरों को ढूँढ़-ढूँढ़ कर एक भाषा में ढालने का उसका काम
गिरफ्त खामोशी की तकलीफदेह थी जब मैं उससे बाहर आया मेरा पात्र धीरे-धीरे पास आती शाम को देख रहा था शवयात्रा में जुटे आठ दस लोग तत्परता से उसे फूँक आए मुझे अब लग रहा कि उसके संग मेरा भी कुछ जाता रहा है जैसे थोड़ी बहुत मृत्यु मुझे भी आई है
अब उधर से गुजरता नहीं देखता मैं कवेलू वाला छप्पर अब मैं उस कहानी को भी नहीं पढ़ता जहाँ रहा आया वह अब मैं उसके जिक्र से भी भरसक बचता हूँ उसका गुजरना गोया मेरा भी गुजरना है यहाँ
हमारी नाव | नरेंद्र जैन हमारी नाव | नरेंद्र जैन ये भाषा की थकान का दौर है विचार और स्वप्न की मृत्यु यहीं से शुरू होती है कविता जैसी भी है जहाँ भी है जितनी भी है बस डूबी है अंधकार में संवाद आधे-अधूरे गिरते लडखड़ाते हाँफते बस, थोड़ा सा संगीत है कहीं जाने कैसे वो भी बचा हुआ है निर्जन में उसी…
हज़ारासिंग का गिटार | नरेंद्र जैन हज़ारासिंग का गिटार | नरेंद्र जैन (70 के दशक के प्रख्यात गिटारवादक हज़ारासिंग के सम्मान में यह कविता) मेरी गली में रहने वाला बिजली मैकेनिक हज़ारासिंग की बजाई गिटार की धुन में डूब गया है वह कहता है हज़ारासिंग मेरा प्रिय वादक है कल बिजली की भारी मशीनों पर झुका वह जरूर इसी धुन को गुनगुनाएगा मैं खु़श होता…
सावित्री | नरेंद्र जैन सावित्री | नरेंद्र जैन आठ बरस की सावित्री बर्तन माँजती है अपने साँवले हाथों से जमाती है बर्तन खिलौनों की तरह अभी दुबेजी के यहाँ से आई है अब गुप्ताजी के घर बासन माँजेगी सावित्री की माँ राधोबाई भी यही काम करती है अनुभवी है इसलिए निपटाती है पाँच घरों के बर्तन राधोबाई कहती है कि उसकी माँ संतोबाई और…
सरकार का इस तरह होना | नरेंद्र जैन सरकार का इस तरह होना | नरेंद्र जैन जहाँ तक सरकार की कार्य कुशलता अथवा उसकी लोक कल्याणकारी मुद्रा का प्रश्न है मैं ऐसी प्रजातांत्रिक प्रणाली और छद्म विचार सरणियों का कायल कभी नहीं रहा लेकिन मैं यह कहने से भी रहा कि इस तरह की सरकार या सरकार का इस तरह होना जनपदीय आदर्शों…
सूखी नदी | नरेंद्र जैन सूखी नदी | नरेंद्र जैन यहाँ से करीब ही बहती है सूखी हुई नदी यहाँ बैठे-बैठे सुनता हूँ सूखी नदी की लहरों का शोर देखता हूँ एक नौका जो सूखी नदी की लहरों में बढ़ी जा रही एक सूखी नदी जीवंत नदी की स्मृति बनी हुई है एक सूखी नदी के किनारे जल से भरा खाली घड़ा…
विलाप | नरेंद्र जैन विलाप | नरेंद्र जैन (संदर्भ : दंगाग्रस्त भोपाल) वनस्पतियों, फलों और कोमल चीजों को काटता हुआ जब प्रविष्ट होता है मनुष्य की देह में तब विलाप कर रहा होता है चाकू वह धार-धार रोता है और दाँत पीसते हत्यारे मुस्कराते हैं यातना बढ़ती है और जले हुए कमरे में रखे हारमोनियम से फूटती है एक उदास धुन जहाँ खून जम रहा…
वह एक जो जा चुका है | नरेंद्र जैन वह एक जो जा चुका है | नरेंद्र जैन एक अँधेरे घिरे कमरे में शोकगीत गाती हैं औरतें रोज यहाँ से गुजरते समय मैं महसूस करता हूँ पकाये गए चमड़े की बू यह घर जो आज नहीं तो कल जरूर गिर पड़ेगा वह एक जो जा चुका है अपनी लंबी बीमारी के बाद एक निश्चित…
वर्णन | नरेंद्र जैन वर्णन | नरेंद्र जैन आज घटित हादसे के बारे में संक्षेप में बतलाओ वर्णन तथ्यपरक हो और लगे तर्कसंगत संदेह के लिए जगह न बचे शब्दों को दी जाए इतनी छूट जितनी वर्णन के लिए जरूरी हो बेमानी है जिक्र अवांतर प्रसंगों का “लोग मारे ही जा रहे हैं” यह होगा एक अमूर्त वाक्य संक्षेप में यह कि जुबान…
व्यवस्था | नरेंद्र जैन व्यवस्था | नरेंद्र जैन इस आदमी के सामने जमीन पर एक थाली है इसमें कोई रोटी नहीं है लेकिन वह अँगुलियों से तोड़ता है कौर और खाने लगता है वह थाली की ओर देखता है और व्यस्त रहता है चबाने की क्रिया में उसकी थाली खाली है अब वह उठता है और एक डकार लेता है वह एक तृप्त व्यक्ति का…
वे | नरेंद्र जैन वे | नरेंद्र जैन एक दरवाजा वहाँ खुला हुआ है उन्होंने एक दरवाजा मेरे लिए खुला रखा है वे सब एक दरवाजे के पीछे खड़े मेरा इंतजार करते हैं वे सोचते हैं मैं कभी खुले दरवाजे में प्रवेश करूँगा वे सब बेहद चालाक हैं उन्होंने एक दरवाजा मेरे लिए खुला रख छोड़ा है