तस्करी और मजाक | नीरज पांडेय

तस्करी और मजाक | नीरज पांडेय

वो 
तुम्हारे 
सपनों की तस्करी 
और 
चिंताओं से मजाक करते हुए 
अपने हाथ तुम्हारी गर्दन तक पहुँचा दिए 
और तुम चुपचाप बैठे रहे

“होइहैं वही जो राम रचि राखा” 
गाते हुए 
अब तुम्हारी खुशियों का गला घोंटा जाएगा 
सपनों से चीर फाड़ 
और दर्द से खिलवाड़ होगी

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बताओ 
अब क्या करोगे 
सहोगे या कुछ करोगे…?