दिल्ली की रातेंरात नहींदिन भी नहीं हो सकतीं दिल्ली की रातेंभोर जैसा इन रातों में कुछ भी नहींइन रातों का अँधेरायमुना पार खड़ा हैबरसों से एक नाव के इंतजार मेंऔर नदी काली होती जाती है ऐसी ही एक रात के दायरे मेंकोठारी हॉस्टल के गेट परइंतजार में खड़ा है दिल्ली का पहला दोस्तकुँवर नारायण की […]
Shailendra Kumar Shukla
Posted inPoems
नए शहर में
Posted inPoems
प्रेम नहीं, प्रेम
Posted inPoems
ऐसी भी क्या जल्दी थी…
Posted inPoems