हम नहीं चाहेंगेकि सौ साल बादजब हम खोलें तुम्हारी किताबतो निकले उसमें सेकोई सूखा हुआ फूलकोई मरी हुई तितलीहम चाहेंगेदुनिया हो तुम्हारे सपनों के मुताबिक।
Sanjay Chaturvedi
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शोकसभा में बच्चे की खिलखिलाहट
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रात के मंदिर
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पौधे उगते रहेंगे
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पिता को फुर्सत नहीं
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