सेवाग्राम | ऋतुराज सेवाग्राम | ऋतुराज कई तरह के समय थेवे लोग सबके दस्तावेजतैयार करने में लगे थेकुछ ही पढ़े जाने थे मेरे समय में दूसरों के समय नेप्राणघातक चीरा लगायाउनकी खबरों ने मारकाट कीविवश एक लड़की का समय थाजिसमें चीरफाड़ करते रहेखबरनवीस और राजनीतिज्ञउन राजनीतिज्ञों के समय मेंहोती रहीं परमविशिष्ट हवाई यात्राएँदौड़ती रहीं रेलें […]
Tag: Rituraj
Posted inPoems
शरीर | ऋतुराज
Posted inPoems
लहर | ऋतुराज
Posted inPoems
राजधानी में | ऋतुराज
Posted inPoems
माँ का दुःख | ऋतुराज
Posted inPoems
परिसर | ऋतुराज
Posted inPoems
नागार्जुन सराय | ऋतुराज
Posted inPoems
दर्शन | ऋतुराज
Posted inPoems
जब हम नहीं रहेंगे | ऋतुराज
Posted inPoems