हमजाद | रविकांत हमजाद | रविकांत (मनोहर श्याम जोशी के लिए) देह के रोमछिद्रों से भी अधिक द्वार हैंजीवन के अभी-अभीकिसने यह कही बहुत पुरानी सीहमजादों की लड़ाई मेंकोई एक जीतता हैजरूर हम कभीअपने हमजाद के दोस्त नहीं होतेअपनी युवा इंद्रियों के साथखड़ा हूँजीवन के दरवाजों पर कोईमेरी सहजताओं का दुश्मन हैखींच लेता है मुझेइसकी देहरियों के भीतर से […]
Tag: Ravikant
Posted inPoems
हत्या | रविकांत
Posted inPoems
सर्जना | रविकांत
Posted inPoems
सुबह | रविकांत
Posted inPoems
सबेरे-सबेरे और अखबार | रविकांत
Posted inPoems
सदी के अंत में | रविकांत
Posted inPoems
संकल्प-क्षण | रविकांत
Posted inPoems
शायद सात साल की बच्ची | रविकांत
Posted inPoems
विद्योत्तमा | रविकांत
Posted inPoems