हमें नहीं मालूम था | प्रयाग शुक्ला हमें नहीं मालूम था | प्रयाग शुक्ला हमें नहीं मालूम था कि हम मिलेंगे एक दिनपर जब मिल जाते हैं लगता हैतय था हमारा मिलना। यह कविता केवल मनुष्योंके बारे में नहीं है। हम बैठे रहते हैं गुमसुमकभी भीतर से अशांत। हम यानी मैं कुछ सीढ़ियाँकुछ पेड़, पहाड़, […]
Prayag Shukla
Posted inPoems
हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला
Posted inPoems
सिरहाने रात के | प्रयाग शुक्ला
Posted inPoems
लड़का | प्रयाग शुक्ला
Posted inPoems
रात को मोर | प्रयाग शुक्ला
Posted inPoems
यह जो हरा है | प्रयाग शुक्ला
Posted inPoems