मन का पुरुष | प्रतिभा राय – Man Ka Purush मन का पुरुष | प्रतिभा राय पत्थर की दीवार-सा दोनों में प्यार था, ठोस – अभेद्य। प्यार – वह भी दांपत्य प्यार – दीर्घ, व्यापक। जिधर से भी देखो, बड़ा मजबूत, बड़ा दुरुस्त! पति-पत्नी को जिसने भी देखा है, यही कहा है, ‘रेंड़ी का तेल, […]
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