हृदय के आसपास | प्रभुनारायण पटेल हृदय के आसपास | प्रभुनारायण पटेल “दरअसल दोस्त,दिल एक मंदिर है,तुम उस अंदरवाले कीआरती उतारकर देखो,हृदय के आसपासउग आई है जो काई और घासउसे दूर फेंको,तब तुम्हें मिलेगीवह निर्मल रसधार,तुम देवता हो जाओगे,प्रेम ही प्रभु का द्वार,“आत्मवत सर्वभूतेषु,मामेकम शरणं ब्रज”योगेश्वर कृष्ण की धरा परस्वर्ग की सौगात है।
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