फुगाटी का जूता | मनीष वैद्य – Fugati Ka Juta फुगाटी का जूता | मनीष वैद्य अब जूता उनके दिमाग में था या कहें कि जूता दिमाग में इस कदर अपना दखल कायम कर चुका था कि वे उससे इतर सोच भी नहीं पा रहे थे। जूता कुछ इस तरह से उनके भीतर रच-बस गया […]
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डेमोक्रेसी… डेमोक्रेसी | मनीष वैद्य
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टुकड़े-टुकड़े धूप | मनीष वैद्य
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घड़ीसाज | मनीष वैद्य
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गों… गों… गों… | मनीष वैद्य
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