यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं।चोट खाए सर्प ने फुंकार लीचल पड़ा डसने स्वयं आतंक को।अन्य देशों का सहारा साथ लेसाथ ले आतंकवादी डंक को।।की बहुत कोशिश मिटाने की मगर,उस चतुर के जाल बढ़ते […]
Tag: Krishan Kumar
Posted inPoems
बार-बार साकी जीवन में | कृष्ण कुमार
Posted inPoems
छोड़ रोना तू जरा हँस | कृष्ण कुमार
Posted inPoems
गीत तुम अब गुनगुनाओ | कृष्ण कुमार
Posted inPoems
काल को सुनना पड़ेगा | कृष्ण कुमार
Posted inPoems