हाथी | जितेन्द्र विसारिया – Hathi हाथी | जितेन्द्र विसारिया …हम कबीरपंथी चमार थे। निडर होकर अपनी बात कहना और उस पर डटकर अमल करना, हमने अपने पूर्वजों से सीखा था। यही कारण था कि हम अपने इस खरेपन के लिए सारे गाँव में जाने जाते थे। जिसका परिणाम बाद में चाहे कुछ भी हुआ […]