सौन्दर्य के उपासक | गजानन माधव मुक्तिबोध – Saundary Ke Upasak सौन्दर्य के उपासक | गजानन माधव मुक्तिबोध कोमल तृणों के उरस्थल पर मेघों के प्रेमाश्रु बिखरे पड़े थे। रवि की सांध्य किरणें उन मृदुल-स्पन्दित तृणों के उरों में न मालूम किसे खोज रही थी। मैं चुपचाप खड़ा था। बायाँ हाथ ‘उसके’ बाएँ कन्धे पर। […]
Gajanan Madhav Muktibodh
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विपात्र | गजानन माधव मुक्तिबोध
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लेखन | गजानन माधव मुक्तिबोध
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प्रश्न | गजानन माधव मुक्तिबोध
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जंक्शन | गजानन माधव मुक्तिबोध
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काठ का सपना | गजानन माधव मुक्तिबोध
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क्लॉड ईथरली | गजानन माधव मुक्तिबोध
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