सर्वोत्तम उद्योग | अवनीश सिंह चौहान सर्वोत्तम उद्योग | अवनीश सिंह चौहान छार-छार होपर्वत दुख काऐसा बने सुयोग गलाकाट इस‘कंप्टीशन’ मेंमुश्किल सर्वप्रथम आ जानाशिखर पा गए किसी तरह तोमुश्किल है उस पर टिक पाना सफल हुए हैंइस युग में जोऊँचा उनका योग बड़ी-बड़ी‘गाला’ महफिल मेंकितनी हों भोगों की बातेंऔर कहीं टपरे के नीचेसिकुड़ी हैं मन […]
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वह परवाज | अवनीश सिंह चौहान
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पगडंडी | अवनीश सिंह चौहान
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चुप बैठा धुनिया | अवनीश सिंह चौहान
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गली की धूल | अवनीश सिंह चौहान
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किसको कौन उबा | अवनीश सिंह चौहान
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कविता | अवनीश सिंह चौहान
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एक आदिम नाच | अवनीश सिंह चौहान
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