सीढ़ियाँ | नरेश सक्सेना सीढ़ियाँचढ़ते हुएजो उतरनाभूल जाते हैंवे घर नहींलौट पातेक्योंकि सीढ़ियाँकभी खत्म नहीं होतीं See also बोरिस पास्तरनाक के लिए | ऐना अक्म्टोवा