सपने अधूरी सवारी के विरुद्ध होते हैं | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता
सपने अधूरी सवारी के विरुद्ध होते हैं | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता

स्वप्न पालना
हाथी पालना नहीं होता
जो शौक रखते हैं
चमचों, दलालों और गुलामों का
कहे जाते हैं स्वप्नदर्शी सभाओं में
सपने उनके सिरहाने थूकने भी नहीं जाते

सृष्टि में मनुष्यों से अधिक हैं यातनाएँ
यातनाओं से अधिक हैं सपने

सपनों से थोड़े ही कम हैं सपनों के सौदागर
जो छोड़ देते हैं पीछा सपनों का

READ  प्रकाश के रंग | त्रिलोचन

ऐरे-गैरे दबावों में
फिर लौटते नहीं सपने उन तक

सपनों को कमजोर कंधे
और बार-बार चुंधियाने वाली आँखें
रास नहीं आतीं

उन्हें पसंद नहीं वे लोग
जो ललक कर आते हैं उनके पास
फिर छुई-मुई हो जाते हैं

सपने अधूरी सवारी के विरुद्ध होते हैं।

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *