रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा
रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा

रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा

रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा

साँप जैसा
रेंगता है दर्द
नस-नस में
निरंतर।

एक बिगड़ी पेंटिंग से
रंग बिखरे
जिंदगी के घाटियों की
चीख जैसे टूटते स्वर
वंदगी के
एक दोना शुष्क फूलों से
रुके आँसू
नयन में
सिसकतीं हैं सिसकियाँ
हर साँस में केवल
जनमभर।

READ  बेरोजगार | अनामिका

सिर्फ जीना और मरना
रोज की मजबूरियाँ
एक अंधी दौड़ में
हम नापते हैं दूरियाँ
चेतना के श्यामपट पर
है लिखी
बस यातनाएँ मुट्ठियों में
रह गया पतझड़ समय
जीना भरम भर।

साँप जैसा
रेंगता है दर्द
नस-नस में निरंतर।

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *