प्रीति का बंधन | नीरज कुमार नीर
प्रीति का बंधन | नीरज कुमार नीर
मेरे हृदय के तारों को
प्रिय तुम स्पंदन मत देना
मैं पंछी उन्मुक्त गगन का
मुक्त हवा में उड़ने वाला
उड़ने दो मुझे पंख पसार
प्रीति का बंधन मत देना
मेरे हृदय के तारों को
प्रिय तुम स्पंदन मत देना
हठ करूँ मैं कभी प्रणय की
तुम प्रेम निवेदन ठुकराना
भाव हीन पाषाण हृदय से
तुम प्रेम समर्पण मत देना
मेरे हृदय के तारों को
प्रिय तुम स्पंदन मत देना
प्रेम कोई अनुबंध नहीं
प्रेम समर्पण जीवन पूर्ण
रहने दो मुझे जैसा हूँ,
मुझे वक्र दर्पण मत देना
मेरे हृदय के तारों को
प्रिय तुम स्पंदन मत देना
जीवन मृत्यु की थाती है
दीये की घटती बाती है
मैं देव नहीं देवालय का
मुझे चंदन वंदन मत देना
मेरे हृदय के तारों को
प्रिय तुम स्पंदन मत देना