प्रभु वंदना | ओम प्रकाश नौटियाल
प्रभु वंदना | ओम प्रकाश नौटियाल
आई हूँ प्रातः ईश द्वार
लेकर मन में श्रद्धा अपार
सजाकर सँभाल स्तुति थाल
सुरभित सुंदर कर पुष्प माल
लालिमा भोर नभ है ठहरी
गूँजे भजनों की स्वर लहरी
पाखंडियों से डरी सहमी
प्रभु तुम रक्षक तुम जग प्रहरी
अभेद्य भीत तुम प्रीत ढाल
अर्पित यह अनुपम पुष्प माल
धूप चंदन मकरंद सुगंध
धुएँ का हल्का श्याम रंग
सानिध्य प्रभु का भोर बेला
अंतस पावन उमंग तरंग
तिलक सोहे जगपाल भाल
शोभित यह न्यारी पुष्प माल
हृदय में न तनिक रहे संशय
है भक्ति पथ पग पग उत्सव
जीवन का श्रम श्वासों की लय
जब शरण ईश तो कैसा भय
हो प्रदीप्त प्रभु कृपा मशाल
सुरभित सुंदर यह पुष्प माल