पिता | रति सक्सेना
पिता | रति सक्सेना

पिता | रति सक्सेना

पिता | रति सक्सेना

उनकी सरसराती पदचापें
किताब में दबे
मेरे सपनों को सूँघने की
कोशिश करतीं

उनके कान
सुनने की कोशिश करते
मेरी चाल में
अजनबी धड़कनों को

उनकी उँगलियाँ
पढ़ने की कोशिश में रहतीं
मेरी चाहतों की ब्रेल लिपियाँ

उनकी भृकुटियों की
उभरी नसों में
प्यार की लिपियाँ थीं

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जिन्हें मैं
तब ही पढ़ पाई
जब वे मेरी मेज पर रखे
तस्वीर के फ्रेम में आन बैठे

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