फूल और उम्मीद | गोरख पाण्डेय

फूल और उम्मीद | गोरख पाण्डेय

हमारी यादों में छटपटाते हैं
कारीगर के कटे हाथ
सच पर कटी जुबानें चीखती हैं हमारी यादों में
हमारी यादों में तड़पता है
दीवारों में चिना हुआ
प्यार

अत्याचारी के साथ लगातार
होनेवाली मुठभेड़ों से
भरे हैं हमारे अनुभव

यहीं पर
एक बूढ़ा माली
हमारे मृत्युग्रस्त सपनों में
फूल और उम्मीद
रख जाता है

See also  रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा