फलों में स्वाद की तरह | केदारनाथ सिंह
फलों में स्वाद की तरह | केदारनाथ सिंह

फलों में स्वाद की तरह | केदारनाथ सिंह

फलों में स्वाद की तरह | केदारनाथ सिंह

जैसे आकाश में तारे
जल में जलकुंभी
हवा में आक्सीजन

पृथ्वी पर उसी तरह
मैं
तुम
हवा
मृत्यु
सरसों के फूल

जैसे दियासलाई में काठी
घर में दरवाजे
पीठ में फोड़ा
फलों में स्वाद

उसी तरह…
उसी तरह…

केदारनाथ सिंह की रचनाये

होंठ | केदारनाथ सिंह

होंठ | केदारनाथ सिंह होंठ | केदारनाथ सिंह हर सुबहहोंठों को चाहिए कोई एक नामयानी एक खूब लाल और गाढ़ा-सा शहदजो सिर्फ मनुष्य की देह से टपकता है कई बारदेह से अलगजीना चाहते हैं होंठवे थरथराना-छटपटाना चाहते हैंदेह से अलगफिर यह जानकरकि यह संभव नहींवे पी लेते हैं अपना सारा गुस्साऔर गुनगुनाने लगते हैंअपनी जगह…

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सृष्टि पर पहरा | केदारनाथ सिंह

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सूर्यास्त के बाद एक अँधेरी बस्ती से गुजरते हुए |केदारनाथ सिंह

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सुई और तागे के बीच में | केदारनाथ सिंह

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