पहली नहीं थी वह | आरसी चौहान
पहली नहीं थी वह | आरसी चौहान

पहली नहीं थी वह | आरसी चौहान

पहली नहीं थी वह | आरसी चौहान

उसे नहीं मालूम था
सपनों और हकीकत की दुनिया में फर्क
जब उसे फूलों की सेज से
उतारा गया था बेरहमी से
घसीटते हुए
वह समझती
उस यातना का नया रूप
कि मुँह खुल चुका था छाता सा
और उसकी साँसें टँग चुकी थी
खूँटी पर
यातना के तहत
जिसके सारे दस्तावेज
जल चुके थे
और वह राख में
खोज रही थी
अपनी बची हुई हड्डियाँ
उस हवेली में बेखबर
यातना की शिकार
पहली नहीं थी वह।

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