नदियाँ
शहर से बाहर
बगैर आधुनिक और तेज हुए बिना
बहती है
और एक विशाल लंबे-चौड़े संकेत से
बिना हस्‍तक्षेप के
दूसरी नदियों को अपने में समेटती-समाती है
वह अब,
अब वह वैसी नहीं है।

पर
पहले से और अधिक
और अंत में
एक दूसरे रूप में थी
जबकि उसके बहुत निकट
समुद्र था।

See also  पहचान

हर दिन जब
चढ़े हुए
समुद्र का पानी उतरता है
तब, नदी अपने मुँह से चीखती है
पानी के लिए

नदी की देह-भीतर
चढ़ता है जब समुद्र-पानी
तब, वह समुद्र की ताकत से
सबल हो उठती है
और नदी अनुभव करती है कि
परगामी ही आगामी है।