नाच रहा था आसमान | रति सक्सेना

नाच रहा था आसमान | रति सक्सेना

उसने अपनी देह को
कुछ इस तरह ताना कि
दो पंख हाथों के सिरे पर उग आये
फिर तीर की तरह देह खींच
आसमान को जमीन पर
अभिमंत्रित किया
धरती ने एड़ियाँ उचका
थाम लिया उसे
दिशाएँ इर्दगिर्द
खिंच आईं परिधि सी

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नाच रहा था आसमान
नाचती रही धरती, दिशाओं के साथ
उसे धुरी में रख