मुझसे बोलो | प्रयाग शुक्ला
मुझसे बोलो | प्रयाग शुक्ला
बादल! मुझसे बोलो!
बंद रंध्र सब खोलो!
रोम रोम में बजो
हमारे हो लो!
मिट्टी की यह छुअन
तुम्हारी, उमड़े
गन्ध बने स्मृति की –
व्याकुल, बोलो!
जी भर जी को धो लो!
सब कुछ हिंदी में
मुझसे बोलो | प्रयाग शुक्ला
बादल! मुझसे बोलो!
बंद रंध्र सब खोलो!
रोम रोम में बजो
हमारे हो लो!
मिट्टी की यह छुअन
तुम्हारी, उमड़े
गन्ध बने स्मृति की –
व्याकुल, बोलो!
जी भर जी को धो लो!