मैं मजदूर हूँ | असलम हसन

मैं मजदूर हूँ | असलम हसन

मैं एक मजदूर हूँ
मेरी भुजाओं में फड़कती है धरती
ये तोड़ सकती हैं पहाड़ों को
और मोड़ सकती हैं नदियों की धाराओं को…
मेरे पाँव बड़े बलशाली…
थकते नहीं रुकते नहीं
उठाता हूँ कंधों पर संसार
मेरी मुट्ठी में क्रांति है
मेरे होठों पर गीत हैं और आँखों में पानी
मेरा पेट… मेरा पेट…
नहीं मैं झूठ नहीं बोल सकता।

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