मैं जरूर रोता | अभिज्ञात
मैं जरूर रोता | अभिज्ञात

मैं जरूर रोता | अभिज्ञात

मैं जरूर रोता | अभिज्ञात

अगर वह कायम रहती अपने कहे पर
और उसके अंदर-बाहर रह जाता वह मकान
जिसे वह अपनी जन्नत कहती है

मैंने देखा, उस मकान के आगे
उग आई सहसा एक सड़क
जिससे होकर आएँगे उसके आत्मीय, स्वजन
उसकी सखी-सहेलियाँ और उनके बच्चे
डाकिया, अजनबी
और वह भिखारी भी
जो बुढ़ापे की जर्जर अवस्था में
मुश्किल से चल पाता था

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घर के आँगन में उग आए फूल
जिससे महकता है पास पड़ोस तक

घर में जगह है मुर्गियों के लिए

गाय के लिए
और मेहमानों के ठहरने के लिए भी

धीरे-धीरे तब्दील हो गया उसका घर
एक पूरे संसार में

मैं जरूर रोता
अगर उसका मकान सिर्फ उसका घर होता।

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