मैं जहाँ रहता था | मिथिलेश कुमार राय

मैं जहाँ रहता था | मिथिलेश कुमार राय

मैं जहाँ रहता था
वहाँ की लड़कियाँ गाना गाती थीं
आपस में बात करती हुईं वे
इतनी जोर से हँस पड़ती थीं
कि दाना चुगती हुई चिड़ियाँ फुर्र से उड़ जाती थीं
और उन्हें पता भी नहीं चलता था

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मैं जहाँ रहता हूँ
यहाँ का मौसम ज्यादा सुहावना है
लेकिन लड़कियाँ कोई गीत क्यों नहीं गातीं
ये आपस में बुदबुदाकर क्यों बात करती हैं
किससे किया है इन्होंने न मुसकुराने का वादा
और इतने चुपके से चलने का अभ्यास किसने करवाया है इनसे
कि ये गुजर जाती हैं
और दाना चुगती हुई चिड़ियाँ जान भी नहीं पाती हैं

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