माँ | नीरज पांडेय
माँ | नीरज पांडेय

माँ | नीरज पांडेय

माँ | नीरज पांडेय

सफेद टूके में 
गठिया 
के 
जैसे ठंडी खीर से भरा लोटा 
ढनगना दिया है 
तुमने

चाँद आज 
खीर भरा लोटा लग रहा है 
माँ

जिसमें तुमने अपने मोटे ठंडे हाथों से 
बनी खीर भरी है 
और चाँद की किरणें 
उसकी मीठी ठंडी तासीर 
बरसा रही हैं

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जिसमें सीझ रहे हैं 
दुनिया वाले 
माँ वाले भी 
बिन माँ वाले भी!

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