माँ की यादें | ए अरविंदाक्षन

माँ की यादें | ए अरविंदाक्षन

चालीस साल पहले
माँ गुजर गयीं
माँ की यादें
अब धूमिल होती जा रही हैं
पर उनकी सुगंध
अब भी तरो-ताजा है।

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