माँ की याद 11
माँ की याद 11

माँ की याद बहुत आती है!

जिसने मेरे सुख-दुख को ही,
अपना सुख–दुख मान लिया था
मेरी खातिर जिस देवी ने,
बार–बार विषपान किया था
स्नेहमयी ममता की मूरत,
अक्सर मुझे रुला जाती है।

दिन तो प्यार भरे गुस्से में,
लोरी में कटती थीं रातें
उसका प्यार कभी ना थकता,
सरदी–गरमी या बरसातें
उस माँ की वह मीठी लोरी,
अब भी मुझे सुला जाती है।

READ  उठे बादल, झुके बादल | हरिनारायण व्यास


माँ, तेरे आँचल का साया,
क्यों ईश्वर ने छीन लिया है?
पल-पल सिसक रहा हूँ जबसे,
तूने स्नेह-विहीन किया है
तुझसे जितना प्यार मिला,
वह मेरे जीवन की थाती है।

बचपन, वह कैसा बचपन है,
माँ की छाँव बिना जो बीता
माँ जितना सिखला देती है,
कहाँ सिखा सकती है गीता
माँ के बिन सब सूना जैसे,
तेल बिना दीपक-बाती है।

READ  कभी जब याद आ जाते | नामवर सिंह

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *