आज हल्दी है
कल विवाह होगा छोटे भाई का

छोटा-सा था कब जवान हुआ
पता ही नहीं चला

इस अवधि में हमारा घर खूब फूला-फला
पर इसी अवधि में एक दिन चुपचाप चले गए पिता
हम सबको अनाथ कर
माँ का साथ बीच राह में छोड़कर

जो घर हँसता था हर पल
उदास रहा कई बरस

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आज वही घर सजा है
उसमें गीत-गवनई है
रौनक है चेहरों पर
गजब का उत्साह है माँ में
परसों उतारेगी वह बहू
पाँव जमीन पर नहीं हैं उसके
सब खुश हैं उसके उल्लास में

आज रात जब वह सोएगी थककर
उसके सपने में जरूर आएँगे पिता उसको बधाई देने
उसका सुख निहारने।

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