कुंडलियाँ-निराकार | मुंशी रहमान खान

कुंडलियाँ-निराकार | मुंशी रहमान खान

निराकार करतार इक जिन यह रचा जहान।
चंद्र सूर्य तारा रचे बिनु खंभा असमान।।
बिनु खंभा असमान जगत का जीवन दाता।
मातु पिता सुन नारि न‍हीं नहिं बांधव भ्राता।।
कहैं रहमान अगम गुण सागर महिमा अपरंपार।
योगी यती मुनीश्‍वर तपसी धरै ध्‍यान ईश्‍वर निराकार।।

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