खबर | नरेंद्र जैन

खबर | नरेंद्र जैन

खबर जैसी होगी
उसी रफ्तार
उसी आकार में फैलेगी
जंगल की आग
अचानक बारिश
और धूल के बवंडर सी उड़ेगी वह
खबर दौड़ती है
उड़ती है यहाँ अफवाह
अफवाह है कि राजा लापता है
खबर है कि मुकाबला कर रहा है
अफवाह है कि सेना ने हथियार डाल दिए
खबर है कि सेनापति कै़द कर लिया गया
अफवाह है कि कातिल को फाँसी होगी
खबर है कि मुठभेड़ में मारा गया
खबर बेशक अफवाह से
बेहतर चीज है
लेकिन यह भी सच है कि
यहाँ कोई खबर आती ही नहीं
देखा जाए तो
यहाँ हर शख्स
एक
खबर के इंतजार में है

हमारी नाव | नरेंद्र जैन

हमारी नाव | नरेंद्र जैन हमारी नाव | नरेंद्र जैन ये भाषा की थकान का दौर है विचार और स्वप्न की मृत्यु यहीं से शुरू होती है कविता जैसी भी है जहाँ भी है जितनी भी है बस डूबी है अंधकार में संवाद आधे-अधूरे गिरते लडखड़ाते हाँफते बस, थोड़ा सा संगीत है कहीं जाने कैसे वो भी बचा हुआ है निर्जन में उसी…

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हज़ारासिंग का गिटार | नरेंद्र जैन

हज़ारासिंग का गिटार | नरेंद्र जैन हज़ारासिंग का गिटार | नरेंद्र जैन (70 के दशक के प्रख्यात गिटारवादक हज़ारासिंग के सम्मान में यह कविता) मेरी गली में रहने वाला बिजली मैकेनिक हज़ारासिंग की बजाई गिटार की धुन में डूब गया है वह कहता है हज़ारासिंग मेरा प्रिय वादक है कल बिजली की भारी मशीनों पर झुका वह जरूर इसी धुन को गुनगुनाएगा मैं खु़श होता…

सावित्री | नरेंद्र जैन

सावित्री | नरेंद्र जैन सावित्री | नरेंद्र जैन आठ बरस की सावित्री बर्तन माँजती है अपने साँवले हाथों से जमाती है बर्तन खिलौनों की तरह अभी दुबेजी के यहाँ से आई है अब गुप्ताजी के घर बासन माँजेगी सावित्री की माँ राधोबाई भी यही काम करती है अनुभवी है इसलिए निपटाती है पाँच घरों के बर्तन राधोबाई कहती है कि उसकी माँ संतोबाई और…

सरकार का इस तरह होना | नरेंद्र जैन

सरकार का इस तरह होना | नरेंद्र जैन सरकार का इस तरह होना | नरेंद्र जैन जहाँ तक सरकार की कार्य कुशलता अथवा उसकी लोक कल्याणकारी मुद्रा का प्रश्न है मैं ऐसी प्रजातांत्रिक प्रणाली और छद्म विचार सरणियों का कायल कभी नहीं रहा लेकिन मैं यह कहने से भी रहा कि इस तरह की सरकार या सरकार का इस तरह होना जनपदीय आदर्शों…

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सूखी नदी | नरेंद्र जैन

सूखी नदी | नरेंद्र जैन सूखी नदी | नरेंद्र जैन यहाँ से करीब ही बहती है सूखी हुई नदी यहाँ बैठे-बैठे सुनता हूँ सूखी नदी की लहरों का शोर देखता हूँ एक नौका जो सूखी नदी की लहरों में बढ़ी जा रही एक सूखी नदी जीवंत नदी की स्मृति बनी हुई है एक सूखी नदी के किनारे जल से भरा खाली घड़ा…

विलाप | नरेंद्र जैन

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वर्णन | नरेंद्र जैन

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वे | नरेंद्र जैन

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