नाहक ही होती है कविता 
नाहक ही छपती है 
नाहक के इस उर्वर प्रदेश में जो बस गया 
अकेला रह जाता है

मत बसो इस खतरनाक मौसम वाली जगह में 
पर्यटक की तरह आओ और निकल जाओ 
शिखर की तरफ 
कविता के साधन पर सवार

मत लिखो 
मत पढ़ो कविताएँ 
वह बड़ा कवि झूठा है 
कविता नहीं वह सीढ़ियाँ लिखता है

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