कमीनों का क्या है | पंकज चतुर्वेदी
कमीनों का क्या है | पंकज चतुर्वेदी

कमीनों का क्या है | पंकज चतुर्वेदी

गाँव से एक महाशय आए 
रईस, सम्मानित, प्रभावशाली 
एक गृह-प्रवेश समारोह में 
मिल गए

गाँव में उनके कई धंधे 
खाद, सीमेंट, डीज़ल 
दवाओं की बिक्री के 
एक जीप किराये पर चलाने की 
हर धंधे में मिलावट, बेईमानी 
चोरी, जालसाज़ी और झूठ

एक और धंधा 
पाँच सौ रुपये के नक़ली 
नोटों का 
जिनमें-से कुछ आख़िरकार 
पुलिस ने ज़ब्त किए 
उनके घर से 
एक आधी रात 
जिसका मुक़द्दमा 
शायद अब भी चलता हो 
किसी अदालत में

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और वह ज़मानत पर छूटे हुए 
उनका लाखों का कारोबार

बहरहाल, उस जलसे में मुझसे 
अपनी पत्नी की 
बीमारी का ज़िक्र किया 
पूछा : कोई डॉक्टर बताओ 
पेट का जानकार

मैंने कहा : हाँ ! हैं 
इस शहर में 
एक बहुत बड़े डॉक्टर 
उनको दिखाइए 
शर्तिया फ़ायदा होगा 
डॉक्टरी इतनी चलती है 
कि अभी इनकम टैक्स का 
छापा पड़ा था 
करोड़ों रुपये बरामद हुए

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वह सुनते रहे ध्यान से 
फिर ग़ुस्से में बोले – 
कमीनों का क्या है 
फिर कमा लेंगे

यह बात 
ऐसे कही गई थी 
इतनी हिक़ारत और इत्मीनान से 
जैसे यह ख़ुद उनके बारे में 
सही नहीं थी

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