कहीं मुझे जाना था | मंगलेश डबराल

कहीं मुझे जाना था | मंगलेश डबराल

कहीं मुझे जाना था नहीं गया
कुछ मुझे करना था नहीं किया
जिसका इंतजार था मुझको वह यहाँ नहीं आयाखुशी का एक गीत मुझे गाना था गाया नहीं गया
यह सब नहीं हुआ तो लंबी तान मुझे सोना था सोया नहीं गया
यह सोच-सोचकर कितना सुख मिलता है
न वह जगह कहीं है न वह काम है
न इंतजार है न वह गीत है और नींद भी कहीं नहीं है 

See also  टूटती जंजीर | माखनलाल चतुर्वेदी