कब ठहरेंगे राजहंस | रमेश दत्त गौतम
कब ठहरेंगे राजहंस | रमेश दत्त गौतम

कब ठहरेंगे राजहंस | रमेश दत्त गौतम

कब ठहरेंगे राजहंस | रमेश दत्त गौतम

जाने कब ठहरेंगे
राजहंस
नयनों के मानसरोवर।

मन की लहरों
अब न उड़ पाते
भावों के जोगिया कपोत
सागर में डूबे उतराए
बैरागी तन के जलपोत
बिसराया ऊधौ ने
ब्रह्मज्ञान
राधा ने ढाई-आखर।

विंध्याचल
कंधों पर लादे
घूमते सुदामा परदेश
महलों में
कुंडली समेटे हैं
वर्तमान द्वारिका नरेश
बहरे दरबारों से
घर लौटी
याचना हमारी थककर।

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सोने के पिंजरों में पालते
सत्ता की मैना को कंस
संशोधित
करते दरबारों में
दुर्योधन गीता के अंष
युग बीते
कोई न आया
गोवर्धन उँगली धरकर।

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