जिस दिन स्त्री रोई
उस दिन उसने बोला
झूठ पहला

जिस दिन उसने झूठ बोला
उस दिन सीखा उसने
हँसकर ‘हाँजी, हाँजी’ कहना

जिस दिन ‘हाँजी’ बोली स्त्री
उस दिन आया याद उसे

गीत बाबुल का –
सावन में तीज का

यह कहना अब मुश्किल है कि
सावन में झूलती स्त्री
रो रही थी
या गा

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