झूठ – 2 | दिव्या माथुर

झूठ – 2 | दिव्या माथुर

बेचारे के थे
न पाँव न पँख
गोद खिलाया
काँधे बिठाया
नाशुक्रा निकला
ये निगोड़ा
सर पर चढ़
मेरे ही बोला
देखो तो ज़रा
ये झूठ मेरा !

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