Contents
- 1 Table of contents
- 2 जया पार्वती व्रत कब है 2021
- 3 जयापार्वती व्रत का महत्व (Jayaparvati importance in hindi)
- 4 कैसे करें व्रत पूजन
- 5 जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati vrat story)
- 6 जयापार्वती व्रत जागरण (Jaya parvati vrat jagran)
- 7 जयापार्वती व्रत में क्या करें (Jaya parvati vrat what to do)
- 8 जयापार्वती व्रत का खाना (Jaya parvati vrat food)
- 9 क्या ना खाएं
- 10 निष्ठा का व्रत
यह व्रत 5 दिनों शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर सावन महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तक चलती है। इस बार 22 जुलाई से 26 जुलाई तक चलेगा व्रत। इस व्रत को अविवाहित महिलाएं पति तथा विवाहित महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए रखती है।
आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए जया पार्वती व्रत किया जाता है। इसे विजया पार्वती व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत की जानकारी भविष्योत्तर पुराण में मिलती है। इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने लक्ष्मीजी को बताया था। यह व्रत गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह ही है।
Table of contents
- जया पार्वती व्रत कब है 2021
- जयापार्वती व्रत का महत्व (Jayaparvati importance in hindi)
- कैसे करें व्रत पूजन
- जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati vrat story)
- जयापार्वती व्रत जागरण (Jaya parvati vrat jagran)
- जयापार्वती व्रत में क्या करें (Jaya parvati vrat what to do)
- जयापार्वती व्रत का खाना (Jaya parvati vrat food)
- क्या ना खाएं
- निष्ठा का व्रत
यह व्रत महिलाओं के लिए काफी महत्व रखता है. महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले आषाढ़ के महीने में 5 दिन के उपवास अनुष्ठान के साथ उत्सव को आगे बढ़ाया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से गुजरात सहित भारत के उत्तरी हिस्सों में बहुत उत्साह के साथ व्रत का पालन करते हैं. आपको बता दें, इस व्रत को गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है.
जया पार्वती व्रत कब है 2021
जयापार्वती व्रत शुरू | 21 जुलाई |
जयापार्वती व्रत समाप्ति | 29 जुलाई |
पूजा मुहूर्त | 19:12 से 21:18 |
जयापार्वती व्रत का महत्व (Jayaparvati importance in hindi)
ऐसा माना जाता है कि देवी जया की पूजा करने से महिलाओं पर उनकी कृपा होती है. वह विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं पर अपना आशीर्वाद बरसाती है. जो लड़कियां अच्छा जीवन साथी चाहती है, उन पर देवी जया आशीर्वाद देती है.
वहीं एक विवाहित महिला को लंबे, स्वस्थ जीवन, अपने पति की भलाई के लिए माना जाता है, देवी अपनी कृपा बरसाती है और समृद्धि, सुख प्रदान करती है. दिव्य युगल- शिव-पार्वती विवाहित महिलाओं को एक सुखी, सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं.
एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण महिला थी जिसने अपने पति की सुरक्षा के लिए भगवान शिव और गौरी से प्रार्थना की थी. उसकी भक्ति से प्रेरित होकर, दिव्य जोड़े ने उसकी इच्छाएं पूरी कीं.
कैसे करें व्रत पूजन
5 दिनों की अवधि में मनाया जाने वाला यह व्रत कुछ नियमों का पालन करके किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, कोई भी गेहूं या ऐसी किसी भी चीज का सेवन नहीं कर सकते जिसमें गेहूं हो. मसाले, सादा नमक और कुछ सब्जियां जैसे टमाटर का भी सेवन 5 दिन की अवधि के दौरान नहीं करना चाहिए.
– पहले दिन- गेहूं के बीजों को मिट्टी के बर्तन में लगाया जाता है जिसे सिंदूर से सजाया जाता है, ‘नगला’ (रूई से बना एक हार जैसी माला)। भक्त 5 दिनों तक इस बर्तन की पूजा करते हैं.
– पांचवें दिन- महिलाएं पूरी रात जागती रहती हैं और जया पार्वती जागरण (भजन, भजन, आरती करना) करती हैं.
– छठे दिन- गेहूं से भरा हुआ घड़ा किसी भी जलाशय या पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है.
जया पार्वती व्रत के लिए शुभ मुहूर्त:
– व्रत मंगलवार, 20 जुलाई, 2021 से शुरू हो रहा है
– जया पार्वती व्रत 24 जुलाई 2021 शनिवार को समाप्त हो जाएगा.
– जया पार्वती प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 07:14 बजे से रात 09:19 बजे तक है.
– त्रयोदशी तिथि 21 जुलाई 2021 को शाम 04:25 बजे शुरू होगी.
– त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई 2021 को दोपहर 01:32 बजे समाप्त होगी.
– एकादशी तिथि शुरू – 19 जुलाई 2021 को रात 09:59 बजे.
– एकादशी तिथि समाप्त – 20 जुलाई 2021 को शाम 07:17 बजे.
जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati vrat story)
पौराणिक कथा के अनुसार किसी समय कौंडिल्य नगर में वामन नाम का एक योग्य ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सत्या था। उनके घर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान नहीं होने से वे बहुत दुखी रहते थे।
एक दिन नारद जी उनके घर पधारें। उन्होंने नारद की खूब सेवा की और अपनी समस्या का समाधान पूछा।
तब नारद जी ने उन्हें बताया कि तुम्हारे नगर के बाहर जो वन है, उसके दक्षिणी भाग में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव माता पार्वती के साथ लिंगस्वरूप में विराजित हैं। उनकी पूजा करने से तुम्हारी मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी।
तब ब्राह्मण दंपत्ति ने उस शिवलिंग की ढूंढकर उसकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस प्रकार पूजा करने का क्रम चलता रहा और 5 वर्ष बीत गए।
एक दिन जब वह ब्राह्मण पूजन के लिए फूल तोड़ रहा था तभी उसे सांप ने काट लिया और वह वहीं जंगल में गिर गया। ब्राह्मण जब काफी देर तक घर नहीं लौटा तो उसकी पत्नी उसे ढूंढने आई। पति को इस हालत में देख वह रोने लगी और वन देवता व माता पार्वती को स्मरण किया।
ब्राह्मणी की पुकार सुनकर वन देवता और मां पार्वती चली आईं और ब्राह्मण के मुख में अमृत डाल दिया, जिससे ब्राह्मण उठ बैठा।
तब ब्राह्मण दंपत्ति ने माता पार्वती का पूजन किया। माता पार्वती ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब दोनों ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की, तब माता पार्वती ने उन्हें विजया पार्वती व्रत करने की बात कहीं।
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन उस ब्राह्मण दंपत्ति ने विधिपूर्वक माता पार्वती का यह व्रत किया, तब उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। इस दिन व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है तथा उनका सौभाग्य अखंड बना रहता है।
जयापार्वती व्रत जागरण (Jaya parvati vrat jagran)
व्रत समाप्ति के एक रात पहले रात भर जागा जाता है, भजन, कीर्तन किया जाता है. इसे जयापार्वती जागरण कहते है. जागरण को भी महिला, लड़की व्रत रखती है, उसे व्रत समाप्ति के पहले इस रात को जागना जरुरी माना जाता है. इस समय नाच गाना भी किया जाता है.
जयापार्वती व्रत में क्या करें (Jaya parvati vrat what to do)
- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर जरुरी काम निपटा लें। इसके बाद नहाकर हाथ में जल लेकर जया पार्वती व्रत का संकल्प लें।
- संकल्प के समय बोलें – मैं आनन्द के साथ स्वादहीन धान से एकभुक्त (एक समय भोजन) व्रत करूंगी। मेरे पाप नष्ट हो एवं मेरा सौभाग्य बढ़े।
- इसके बाद अपनी शक्ति के अनुसार सोने, चांदी या मिट्टी के, बैल पर बैठे शिव-पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। स्थापना किसी मंदिर या ब्राह्मण के घर पर वेदमंत्रों से करें या कराएं और पूजा करें।
- सर्वप्रथम कुंकुम, कस्तूरी, अष्टगंध, शतपत्र (पूजा में उपयोग आने वाले पत्ते) व फूल चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, दाख, अनार व अन्य ऋतुफल चढ़ाएं और उसके बाद विधि-विधान से पूजन करें। इसके बाद माता पार्वती का स्मरण करें और उनकी स्तुति करें, जिससे वे प्रसन्न हों।
- इसके बाद इस व्रत से संबंधी कथा योग्य ब्राह्मण से सुनें। कथा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। बाद में स्वयं नमकरहित भोजन ग्रहण करें।
- इस प्रकार जया पार्वती व्रत विधि-विधान से करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और हर मनोकामना पूरी करती हैं।
जयापार्वती व्रत का खाना (Jaya parvati vrat food)
इस व्रत में नमक खाने की मनाही होती है। इसके अलावा गेहूं का आटा और सभी तरह की सब्जियां भी नहीं खानी चाहिए।
व्रत के दौरान फल, दूध, दही, जूस, दूध से बनी मिठाइयां खा सकते हैं। व्रत के आखिरी में मंदिर में पूजा के बाद नमक, गेहूं के आटे से बनी रोटी या पूरी और सब्जी खाकर व्रत का उद्यापन किया जाता है।
क्या ना खाएं
5 दिनों तक गेहूं से बनी किसी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इन पांच दिनों में गेंहू की ही पूजा होती है। 5 दिनों तक नमक और खट्टी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। 5 दिनों तक फलाहार का सेवन करना चाहिए।
निष्ठा का व्रत
तपस्या और निष्ठा के साथ स्त्रियां यह व्रत रखती हैं, ये व्रत बड़ा कठिन है। कहते हैं इस व्रत को करने से सात जन्मों तक महिलाओं को उनके पति प्राप्त होते हैं। काशी के पंडित दिवाकर शास्त्री के मुताबिक इस बार यह व्रत काफी सुखद संयोग लेकर आया है और इस दिन का व्रत अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला और सुख-शांति देने वाला है।