जल बिन मछली | ए अरविंदाक्षन
जल बिन मछली | ए अरविंदाक्षन

जल बिन मछली | ए अरविंदाक्षन

जल बिन मछली | ए अरविंदाक्षन

जल बिन मछली जी सकती है
सपनों का अपार भंडार
उनके भीतर
जल उनका मार्ग
इधर-उधर
अन्दर-बाहर
सपने उनके भीतर
जल उनके बाहर।

READ  कश्मीर | अशोक कुमार

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *